Friday 26 August 2016

आज  मानवीय होना कितना मुश्किल हो गया है? ........

वर्तमान शब्दावली  में  जब हम असभ्य थे। . मुझे ऐसा लगता है की तब हम ज्यादा ही मानवीय हुआ करते थे।
क्योंकि तब हमारे पास वक्त था।  भावनाएं थी ,मर्यादा ,सम्मान  और  प्रेम था। कल हमारे पास धन नही हुआ  करता था लेकिन एक मन था  जो हर किसी के दर्द में बाह जाना जानता था. ।

आज  मानव  मन  का हर बहाव पैसे के बने बाँध तक सीमित हो गया है।
 एक घटना का जिक्र कर रहा हूं। ......

किसी माँ के  गर्भ से जन्मते उस पहले बच्चे का क्या दोष जो पूर्णतया  जन्मने के पहले मर गया। .
वजह सिर्फ इतनी की डॉक्टर और नर्सो का पैसा नहीं बनता। ....
जन्मते उस बच्चे को नहीं पता था की उसे कहा जन्म लेना  है ,शायद ये उसके बस का भी नहीं था।
जांच कक्ष से उस बच्चे की माँ को पैदल उस कमरे में ले जाया गया जहा उस बच्चे को जन्म लेना था। 

डिलीवरी रूम ,,,,,,,,,

बच्चा पैदा तो हुआ लेकिन मरा ,,,,,,,,,

एक जोर की चीख ,,,क्रूरता की हद  उसके बीच एक आवाज। .........
बच्चा तो पेट में ही मर गया था। ...